मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम
उदास क्यूँ हो ?
ये बारिश भी तुम सी है,
जो थम गई तो थम गई,
जो बरस गई तो बरस गई,
कभी आ गई यूँ ही बेहिसाब,
कभी थम गई बन आफ़ताब,
कभी गरज गरज कर बरस गई,
कभी बिन बताये ही गुजर गई,
कभी चुप सी है,
कभी गुम सी है,
ये बारीशें भी सच…तुम सी है!!!…
Udaas hun par tujhse naraaz nahin,
Tere Dil mai hun par tere pass nahin,
Jhooth kahun to sab kuch hai mere pass ,
Aur sach kahun to ek tere siva kuch bhi Khaas nahin